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6 Jan 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

वो वफाओं का आईना होगा
प्यार से हमको देखता होगा
इम्तहाँ लेगा वो टकरा हमसे
कही पत्थर कहीं शीशा होगा
छिप न पायेगा शरम नजरों में
जब भी खोलेगा सामना होगा
टूट जाने दो रूठ जाने दो उसे
देख लेगें हम जो हादसा होगा
इक मुलाकात का हसीं मंजर
उसकी नजरों से झाँकता होगा
मैं मुरादों का ‘महज’ उसका शहर
वो तो मेरे घर का रास्ता होगा

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