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19 Dec 2023 · 1 min read

मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,

मंजिल यू‌ँ ही नहीं मिल जाती,
चले बिना राहों में।
संघर्ष करना पड़ता है ,
दिन रात जमानों में।
गिरकर उठना – उठकर गिरना,
फितरत है जमाने की।
बार – बार उठकर चलने की जज्बा है,
जमाने को बताने की।
…..✍️ योगेन्द्र चतुर्वेदी

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