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13 Dec 2023 · 1 min read

#काव्यात्मक_व्यंग्य :--

#काव्यात्मक_व्यंग्य :–
■ एक था शेर…..!!
【प्रणय प्रभात】
“एक शेर था,
बड़ा ज़िद्दी, क्रोधी और अकडेल था!
किसी से सीधे मुंह बात करना,
उसकी शान के खिलाफ़ था!
मा-बाप डरते थे,
खुशामद करते थे,
मोहल्ला थर्राता था, हर कोई घबराता था!
साक्षात यमराज था, स्वभाव लाइलाज था!
अब शेर शांत है,
अकड़ छू-मन्तर हो चुकी है!
गुस्सा भूल चुका है,
चुप रहना क़बूल चुका है!
कुछ साल हुए,,,,,
हालात से निबाह कर चुका है….
पता चला है कि बेचारा विवाह कर चुका है।।”
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
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