Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Dec 2023 · 4 min read

अ’ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम

उर्दू शायरी ( Urdu Poetry) के महान् शायर उबैदुल्ला अलीम का जन्म 12 जून 1939 को भोपाल में हुआ था। भारत और पाकिस्तान विभाजन के समय इनके पिता पाकिस्तान चले गए और वहीं बस गए। उबैदुल्लाह अलीम ने कराची विश्वविद्यालय से उर्दू में एम.ए किया और एक रेडियो टेलीविजन में काम करना शुरू कर दिया। काम के साथ साथ शायरी भी लिखने लगे। सन 1974 में अपना पहला काव्य क़िताब ” चांद चेहरा सितारा आंखें” प्रकाशित किया जिसे लोगों ने हाथों हाथ लिया। और इस काम के लिए उबैदुल्ला अलीम को पाकिस्तान का सर्वोच्च पुरस्कार “आदमजी” से नवाजा गया। उबैदुलाह अलीम ने अपने जीवन में लगभग 4 किताबें लिखीं

1. चांद चेहरा सितारा आंखे

2. ये जिंदगी है हमारी

3. वीरान सराय का दिया

4. पुरुष खुली हुई एक सच्चाई

उबैदुल्ला अलीम उर्दू शायरी (Urdu shayari) के एक चमकते हुए सितारे थे इनके लिखे शेर लोगों में ताज़गी का आज भी अहसास दिलाती हैं। 18 मई 1998 को हार्ट अटैक कि वजह से उबैदुल्ला अलीम इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।

उबैदुल्लाह अलीम के चुनिंदा गजलें

1. कुछ इश्क़ था कुछ मजबूरी थी सो मैं ने जीवन वार दिया।

मैं कैसा ज़िंदा आदमी था इक शख़्स ने मुझ को मार दिया।।

मैं खुली हुई इक सच्चाई मुझे जानने वाले जानते हैं।

मैं ने किन लोगों से नफ़रत की और किन लोगों को प्यार दिया।।

मैं रोता हूँ और आसमान से तारे टूटते देखता हूँ।

उन लोगों पर जिन लोगों ने मिरे लोगों को आज़ार दिया।।

इक सब्ज़ शाख़ गुलाब की था इक दुनिया अपने ख़्वाब की था।

वो एक बहार जो आई नहीं उस के लिए सब कुछ हार दिया ।।

2. जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई।

बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई।।

न होगी ख़ुश्क कि शायद वो लौट आए फिर।

ये किश्त गुज़रे हुए अब्र की निशानी हुई।।

कहाँ तक और भला जाँ का हम ज़ियाँ करते।

बिछड़ गया है तो ये उस की मेहरबानी हुई।

3. कुछ दिन तो बसो मिरी आँखों में

फिर ख़्वाब अगर हो जाओ तो क्या

कोई रंग तो दो मिरे चेहरे को

फिर ज़ख़्म अगर महकाओ तो क्या

जब हम ही न महके फिर साहब

तुम बाद-ए-सबा कहलाओ तो क्या

इक आइना था सो टूट गया

अब ख़ुद से अगर शरमाओ तो क्या

तुम आस बंधाने वाले थे

अब तुम भी हमें ठुकराओ तो क्या

दुनिया भी वही और तुम भी वही

फिर तुम से आस लगाओ तो क्या

मैं तन्हा था मैं तन्हा हूँ

तुम आओ तो क्या न आओ तो क्या

जब देखने वाला कोई नहीं

बुझ जाओ तो क्या गहनाओ तो क्या

अब वहम है ये दुनिया इस में

कुछ खोओ तो क्या और पाओ तो क्या

है यूँ भी ज़ियाँ और यूँ भी ज़ियाँ

जी जाओ तो क्या मर जाओ तो क्या

4. हिज्र करते या कोई वस्ल गुज़ारा करते

हम बहर-हाल बसर ख़्वाब तुम्हारा करते

एक ऐसी भी घड़ी इश्क़ में आई थी कि हम

ख़ाक को हाथ लगाते तो सितारा करते

अब तो मिल जाओ हमें तुम कि तुम्हारी ख़ातिर

इतनी दूर आ गए दुनिया से किनारा करते

मेहव-ए-आराइश-ए-रुख़ है वो क़यामत सर-ए-बाम

आँख अगर आईना होती तो नज़ारा करते

एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे

किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते

जब है ये ख़ाना-ए-दिल आप की ख़ल्वत के लिए

फिर कोई आए यहाँ कैसे गवारा करते

कौन रखता है अँधेरे में दिया आँख में ख़्वाब

तेरी जानिब ही तिरे लोग इशारा करते

ज़र्फ़-ए-आईना कहाँ और तिरा हुस्न कहाँ

हम तिरे चेहरे से आईना सँवारा करते
.
5 . ख़याल-ओ-ख़्वाब हुई हैं मोहब्बतें कैसी

लहू में नाच रही हैं ये वहशतें कैसी

न शब को चाँद ही अच्छा न दिन को मेहर अच्छा

ये हम पे बीत रही हैं क़यामतें कैसी

वो साथ था तो ख़ुदा भी था मेहरबाँ क्या क्या

बिछड़ गया तो हुई हैं अदावतें कैसी

अज़ाब जिन का तबस्सुम सवाब जिन की निगाह

खिंची हुई हैं पस-ए-जाँ ये सूरतें कैसी

हवा के दोष पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम

जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी

जो बे-ख़बर कोई गुज़रा तो ये सदा दे दी

मैं संग-ए-राह हूँ मुझ पर इनायतें कैसी

नहीं कि हुस्न ही नैरंगियों में ताक़ नहीं

जुनूँ भी खेल रहा है सियासतें कैसी

न साहबान-ए-जुनूँ हैं न अहल-ए-कश्फ़-ओ-कमाल

हमारे अहद में आईं कसाफ़तें कैसी

जो अब्र है वही अब संग-ओ-ख़िश्त लाता है

फ़ज़ा ये हो तो दिलों में नज़ाकतें कैसी

ये दौर-ए-बे-हुनराँ है बचा रखो ख़ुद को

यहाँ सदाक़तें कैसी करामातें कैसी

उबैदुल्लाह अलीम के चुनिंदा शेर

1. अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए।

अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए।।

2. ज़मीन जब भी हुई कर्बला हमारे लिए।

तो आसमान से उतरा ख़ुदा हमारे लिए।।

3. आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा।

जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा।।

4.जो दिल को है ख़बर कहीं मिलती नहीं ख़बर।

हर सुब्ह इक अज़ाब है अख़बार देखना।।

5. ख़्वाब ही ख़्वाब कब तलक देखूँ।

काश तुझ को भी इक झलक देखूँ।।

6. हवा के दोश पे रक्खे हुए चराग़ हैं हम।

जो बुझ गए तो हवा से शिकायतें कैसी।।

7. दुआ करो कि मैं उस के लिए दुआ हो जाऊँ

वो एक शख़्स जो दिल को दुआ सा लगता है

8. काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को

दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है

337 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
धरती पर जन्म लेने वाला हर एक इंसान मजदूर है
प्रेमदास वसु सुरेखा
धनिया
धनिया
Santosh kumar Miri
प्रेम संदेश
प्रेम संदेश
Laxmi Narayan Gupta
सोहर
सोहर
Indu Singh
मैं  ज़्यादा  बोलती  हूँ  तुम भड़क जाते हो !
मैं ज़्यादा बोलती हूँ तुम भड़क जाते हो !
Neelofar Khan
लौकिक से अलौकिक तक!
लौकिक से अलौकिक तक!
Jaikrishan Uniyal
'प्यासा'कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey' pyasa'
'प्यासा'कुंडलिया(Vijay Kumar Pandey' pyasa'
Vijay kumar Pandey
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
एक चंचल,बिंदास सी छवि थी वो
एक चंचल,बिंदास सी छवि थी वो
Vaishaligoel
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
दया के पावन भाव से
दया के पावन भाव से
Dr fauzia Naseem shad
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
हम हिंदुस्तान हैं
हम हिंदुस्तान हैं
Ahtesham Ahmad
Natasha is my Name!
Natasha is my Name!
Natasha Stephen
कुछ हम लड़के भी है  जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
कुछ हम लड़के भी है जो सिर्फ या तो मां के प्रेम के अधीर इतने
पूर्वार्थ
तौबा ! कैसा यह रिवाज
तौबा ! कैसा यह रिवाज
ओनिका सेतिया 'अनु '
জয় শিবের জয়
জয় শিবের জয়
Arghyadeep Chakraborty
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Vandna Thakur
तेरा चहेरा नज़र आता है
तेरा चहेरा नज़र आता है
Sonu sugandh
गीत- कभी ख़ुशियाँ कभी ग़म हैं...
गीत- कभी ख़ुशियाँ कभी ग़म हैं...
आर.एस. 'प्रीतम'
मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
सीता के बूंदे
सीता के बूंदे
Shashi Mahajan
सुबह की नींद सबको प्यारी होती है।
सुबह की नींद सबको प्यारी होती है।
Yogendra Chaturwedi
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
VINOD CHAUHAN
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ
Ram Krishan Rastogi
4747.*पूर्णिका*
4747.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विघ्न-विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
विघ्न-विनाशक नाथ सुनो, भय से भयभीत हुआ जग सारा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
” शुध्दिकरण ”
” शुध्दिकरण ”
ज्योति
Loading...