Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2023 · 1 min read

गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत “कश्यप”।

गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत “कश्यप”।
हर तरफ देख लो कैसा शबाब छाया है।।
चहक रहें हैं परिंदे भी रुत महक सी रही।
चमन में आके कोई फिर से मुस्कुराया है।।

1 Like · 420 Views

You may also like these posts

भूल
भूल
Rambali Mishra
*कंचन काया की कब दावत होगी*
*कंचन काया की कब दावत होगी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रिश्ते
रिश्ते
प्रदीप कुमार गुप्ता
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
चलो मैं आज अपने बारे में कुछ बताता हूं...
Shubham Pandey (S P)
बन्दे   तेरी   बन्दगी  ,कौन   करेगा   यार ।
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
sushil sarna
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
UPSC-MPPSC प्री परीक्षा: अंतिम क्षणों का उत्साह
पूर्वार्थ
गाड़ी मेरे सत्य की
गाड़ी मेरे सत्य की
RAMESH SHARMA
सफर पर चला था इस भ्रम में कि सभी साथ होंगे वक्त बेवक्त मेरे
सफर पर चला था इस भ्रम में कि सभी साथ होंगे वक्त बेवक्त मेरे
VINOD CHAUHAN
तुम   से  नाराज़गी  नहीं   कोई ।
तुम से नाराज़गी नहीं कोई ।
Dr fauzia Naseem shad
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
Sanjay ' शून्य'
★गहने ★
★गहने ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
श्राद्ध पक्ष में दुर्लभ कागों को समर्पित एक देसी ग़ज़ल:-
*प्रणय*
मिलती है मंजिले उनको जिनके इरादो में दम होता है .
मिलती है मंजिले उनको जिनके इरादो में दम होता है .
Sumer sinh
अकेलापन
अकेलापन
Ragini Kumari
3562.💐 *पूर्णिका* 💐
3562.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चौपाई छंद - माता रानी
चौपाई छंद - माता रानी
Sudhir srivastava
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
” आलोचनाओं से बचने का मंत्र “
DrLakshman Jha Parimal
सच्चा मीत
सच्चा मीत
इंजी. संजय श्रीवास्तव
इमाराती प्रवासी का दर्द
इमाराती प्रवासी का दर्द
Meera Thakur
स्थापित भय अभिशाप
स्थापित भय अभिशाप
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
"बाणसुर की नगरी"
Dr. Kishan tandon kranti
जान लो पहचान लो
जान लो पहचान लो
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
छुपा सच
छुपा सच
Mahender Singh
रोटी
रोटी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
मैंने खुद को जाना, सुना, समझा बहुत है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
हर हाल में बढ़ना पथिक का कर्म है।
Anil Mishra Prahari
भक्ति गीत
भक्ति गीत
Arghyadeep Chakraborty
- मेरे ख्वाबों की रानी -
- मेरे ख्वाबों की रानी -
bharat gehlot
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की पत्नी विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
Loading...