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13 Nov 2023 · 1 min read

सच समझने में चूका तंत्र सारा

सवालों में छिपे रहते
आम इंसानों के दर्द
इन्हें हल करके बढ़ाता
इंसान विकास की हद
मुश्किलें तभी सुलझें जब
सवाल हों शीशे से साफ
अन्यथा समाधान खोजने
में इंसान जाता हैं हांफ
सवालों को पहचानना
भी होता नहीं आसान
जो सवालों को पहचान
ले,वो खोज लेता निदान
सवालों में अस्पष्टता करता
अनिश्चितता की ओर इशारा
अधूरा सवाल बताता, सच
समझने में चूका तंत्र सारा
जो आप चाहते हैं कि मिले
समस्याओं का सही हल
समस्याओं की पहचान में
लगाएं बुद्धि, विवेक सकल

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