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9 Nov 2023 · 1 min read

हे राम ।

हे राम ।

तुम ही माँझी, तुम ही पतवार है मेरी
तुम चाहे तो कश्ती उस पार है मेरी।

मत छोड़ना हाथ जिन्दगी के भँवर में
तुम ही साहब, तुम ही सरकार है मेरी।

हर मुसाफिर को मिले अपनी मंजिल
यह विनती मालिक हर बार है मेरी।
a m prahari

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