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8 Nov 2023 · 1 min read

तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ

तुम जहा भी हो,तुरंत चले आओ।
मचल रहा है दिल इसे समझाओ।

कर रही हूं मै प्रतीक्षा बड़ी देर से।
आ जाओ अब,मुझे न तड़पाओ।

लगी है आग,सारे बदन में अब मेरे।
शोले भड़क रहे और न भड़काओ।।

चुपके चुपके आ जाना अपने घर में।
सताई जा चुकी हूं मै और न सताओ।।

तरस रही है मेरी आंखे देखने को।
बस करो अब इन्हें और न तरसाओ।।

पीकर प्यार का जाम,कुछ बहक गई।
बहक चुकी हूं काफी और न बहकाओ।

रस्तोगी भी बहक गया इसे लिख कर।
बस करो इसके आगे और न लिखवाओ।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

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