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30 Sep 2023 · 1 min read

क्षमावाचन

अपने से अपने को को क्षमा करने का पर्व है क्षमापन
कल को भूल जाना और क्षमा करने का भी पूर्ण जतन
सबमें ही ‘मैं’ देखने का और समझने का है सकल समर्पण ।
उपासना,साधना से समय मैत्री स्व का सम्पूर्ण विसर्जन
जीवन का साक्षी ही क्षमाभाव मानो है जीवन वो दर्पण।
क्रोध,अंहकार,राग-द्वेष,कषाय का जीवन से पूर्ण विसर्जन
क्षमावाचन मंगल पाठ से अपनत्व का सात्विक आमंत्रण ।
क्षमा भाव सेआत्मनुशासन अन्तश्चेतना का रूपांतरण
है अभी क्षण वहीं जीवंत,जाग्रत वहीं निज का अन्वेषण ।
‌ -सीमा गुप्ता अलवर राजस्थान

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