Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2023 · 3 min read

कथनी और करनी में अंतर

कथनी और करनी में अंतर

अजय और संजय दोनों भाई न केवल पढ़ाई-लिखाई और खेलकूद में ही आगे रहते बल्कि बहुत निडर, साहसी तथा परिश्रमी भी थे। उनके पिताजी एक शासकीय चिकित्सक थे। पिछले दिनों उनका स्थानांतरण शहर से रामपुर गाँव में हो गया था। यह गाँव शहर से बहुत दूर था, इस कारण उनको सपरिवार उस गाँव में ही रहना पड़ा। वहाँ उनको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास ही बना शासकीय मकान रहने को मिल गया।
उनके पिताजी सुबह से लेकर देर रात तक मरीजों से घिरे रहते। मम्मी घर के कामों में व्यस्त रहतीं। समय मिलता तो वे दोनों भाईयों को कुछ देर तक पढ़ातीं। जब वे लोग शहर में थे, तो अजय और संजय का अधिकांश समय स्कूल और टयूशन में ही कट जाता, परंतु यहाँ तो स्कूल के बाद समय कटता ही नहीं था।
एक दिन दोनों भाईयों ने आपस में कुछ विचार-विमर्श किया और चल पड़े अस्पताल अपने पिताजी के पास। संयोगवश उस समय वे अकेले और खाली बैठे थे। दोनों भाईयों को एक साथ देखकर पूछ बैठे- ‘‘क्या बात है बेटे ? सब खैरियत तो है।’’
‘‘पापा सब ठीक है, परंतु यहाँ गाँव में हमारा समय ही नहीं कट रहा है, इसलिए हम आपके काम में कुछ हाथ बँटाना चाहते हैं। हमारे लायक कोई काम हो तो प्लीज बताइए ?’’ अजय ने कहा।
उनके पिताजी दोनों भाईयों को बड़े ध्यान से देखने लगे। बोले- “हां काम तो है … ”
‘‘सच पापा ! जल्दी बताइए प्लीज।’’ दोनों बच्चे एक साथ बोल पड़े।
पिताजी बोेले- ‘‘है, पर…. बहुत कठिन काम है। शायद तुम लोग….।’’ वे कुछ कहते इससे पहले संजय बोल पड़ा- ‘‘आप बताइए तो सही पापा। हम कोई भी काम कर लेंगे।’’
पिताजी ने समझाया- ‘‘देखो बेटे ! यह एक पिछड़ा हुआ गाँव है। यहाँ के ज्यादातर लोग गरीब और अनपढ़ हैं। वे साफ-सफाई तथा उत्तम स्वास्थ्य के सम्बंध में कुछ भी नहीं जानते। ये अंधविश्वासों, कुरीतियों तथा गलत परम्पराओं का पालन अभी भी करते चले जा रहे है। इसलिए तुम लोग इन्हें शिक्षित करने का काम कर सकते हो। इन्हें तुम पढ़ा सकते हो। पढ़-लिखकर ये लोग खुद ही इन बुराइयों को छोड़ देंगे और इनकी आधी समस्याएँ यूँ ही खत्म हो जाएँगी।’’
‘‘हाँ पापाजी ! आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं। हम लोग इन्हें पढ़ाएँगे।’’ दोनों भाई एक साथ बोले। तभी कुछ लोग एक बीमार औरत को लेकर आ गए, तो बच्चों ने भी पिताजी से विदा लेकर घर की ओर प्रस्थान किया।
अब दोनों भाईयों ने आसपास के लोगों से कहा कि वे शाम को उनके यहाँ पढ़ने के लिए आया करें। वे ग्रामीण “हाँ” तो कहते पर कोई भी नहीं आता। अब दोनों भाईयों ने गाँव वालों को स्वच्छता के बारे में बताना शुरु किया। ग्रामीण उनकी बातों को सुनते जरूर, पर पालन नहीं करते। वे लोग यहाँ-वहाँ कहीं भी गंदगी कर देते। नालियोें तथा गड्ढों में हमेशा मक्खियाँ भिनभिनातीं रहतीं।
अब दोनोें भाईयों ने फिर से आपस में कुछ विचार-विमर्श किया और एक टोकरी तथा फावड़ा-गैंती लेकर निकल पड़े गाँव सफाई करने लगे। सुबह-सुबह वे दोनों गाँव के एक कोने से कचरे का ढेर हटाने तथा गड्ढों को पाटने के काम में लग गए। आते-जाते लोग उन्हें देखते, कुछ लोग हँस देते तो कुछ व्यंग्य में कुछ कह कर आगे बढ़ जाते। दोनों भाई निर्विकार भाव से अपने काम में जुटे रहे।
अभी कुछ ही देर हुआ था कि उन्हें काम करते देख गाँव की दो-तीन औरतें भी आकर उनके काम में लग गयीं। फिर क्या था…. एक-एक औरतें आती गईं और घंटे भर के भीतर ही पच्चीस-तीस औरतें इस काम में लग गईं। औरतों को काम करते देख उनके घरवाले भी अपने को कहाँ रोक पाते। देखते-ही-देखते गाँव भर के स्त्री-पुरुष इस सफाई अभियान में लग गए और कुछ ही घंटों में पूरे गाँव की सफाई हो गई।
इस प्रकार संजय और अजय ने अपनी करनी से वह काम कर दिखाया जो वे कथनी से नहीं कर सके थे।
अब प्रतिदिन शाम को दोनों भाई गाँव के चौपाल में अशिक्षित लोगों को एक-एक घंटा पढ़ाते भी हैं। इस कार्य में गाँव के पंच, सरपंच और गुरुजी भी उनका सहयोग कर रहे हैं।
उम्मीद है बहुत जल्दी रामपुर पूर्ण साक्षर गाँव बन जाएगा।
डाॅ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर (छ.ग.)

161 Views

You may also like these posts

नेता जी
नेता जी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
माँ तुम्हारे रूप से
माँ तुम्हारे रूप से
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
दीपक झा रुद्रा
चला गया
चला गया
Mahendra Narayan
मुहब्बत भी करके मिला क्या
मुहब्बत भी करके मिला क्या
डी. के. निवातिया
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
जिंदगी सभी के लिए एक खुली रंगीन किताब है
Rituraj shivem verma
तुम खूबसूरत हो
तुम खूबसूरत हो
Ruchika Rai
नशा तेरी
नशा तेरी
हिमांशु Kulshrestha
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
शाश्वत, सत्य, सनातन राम
श्रीकृष्ण शुक्ल
मुस्कुरा देते हैं
मुस्कुरा देते हैं
Jyoti Roshni
पहले दौलत की खातिर, सब कुछ किया निछावर,
पहले दौलत की खातिर, सब कुछ किया निछावर,
पूर्वार्थ
"कभी मेरा ज़िक्र छीड़े"
Lohit Tamta
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
बेटी
बेटी
अरशद रसूल बदायूंनी
परिवर्तन
परिवर्तन
विनोद सिल्ला
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
गर तहज़ीब हो मिट्टी सी
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
जिंदगी रोज़ नये जंग दिखाए हमको
Shweta Soni
पटरी
पटरी
संजीवनी गुप्ता
तो क्या करता
तो क्या करता
Vivek Pandey
*जिसको सोचा कभी नहीं था, ऐसा भी हो जाता है 【हिंदी गजल/गीतिका
*जिसको सोचा कभी नहीं था, ऐसा भी हो जाता है 【हिंदी गजल/गीतिका
Ravi Prakash
कल तो निर्मम काल है ,
कल तो निर्मम काल है ,
sushil sarna
चमेली के औषधीय गुणों पर आधारित 51 दोहे व भावार्थ
चमेली के औषधीय गुणों पर आधारित 51 दोहे व भावार्थ
आकाश महेशपुरी
हम
हम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
"तलाश"
Dr. Kishan tandon kranti
सरसी छन्द
सरसी छन्द
Dr.Pratibha Prakash
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
नाम लिख तो दिया और मिटा भी दिया
SHAMA PARVEEN
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
किसी से भी कोई मतलब नहीं ना कोई वास्ता…….
shabina. Naaz
Loading...