डर है होजाये कहीं, मर्यादा का त्याग .
अधरों ने की दिल्लगी, अधरों से कल रात ।
चल चित्र का संसार
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मीठा जीतना मीठा हो वह घातक विष बन जाता हैं
हँसता चेहरा दुनिया देखे , रोते को यहाँ पूछे कौन
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,
अर्ज़ है ... हर ज़ाम में डुबते है महफ़िल सजाने को , ये कह कर
प्रेम और दोस्ती में अंतर न समझाया जाए....
नई शुरावत नई कहानियां बन जाएगी
ख़ुदा के फै़सले पे क्या ऐतराज़ करना ।
तेरा बहुत बहुत शुक्रिया ए जिंदगी !
ख़ुमार ही ख़ुमार है ज़मीं से आसमान तक।
मैं क्या जानूं क्या होता है किसी एक के प्यार में