मरने के बाद भी ठगे जाते हैं साफ दामन वाले
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं "ड्रिंकर" न होते हुए भी "थिं
शिक्षा अर्जित जो करे, करता वही विकास|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
रिश्ता नहीं है तो जीने का मक़सद नहीं है।
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आज फिर अकेले में रोना चाहती हूं,
Bundeli Doha pratiyogita-149th -kujane
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ कुंडलियां
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko...!