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24 Jun 2016 · 1 min read

शुभसंकल्प

विषयों में रमने वाला मन, प्रेमामृत का प्याला हो।
सत्य धर्म शुचिता सद्गुण की, गुथीं सुभग इक माला हो।
वेगवान हृदयस्थ ज्यो’तिर्मय, जो जग में विचरण करता।
कर्मों का प्रेरक मेरा मन, शुभसंकल्पों वाला हो।
अंकित शर्मा’इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

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