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29 Jun 2023 · 1 min read

ईंट खोदकर नींव की, गिरा दिया निज गेह ।

ईंट खोदकर नींव की, गिरा दिया निज गेह ।
हृदय हुए पाषाण सम, बचा न इनमें नेह ।।

✍️ अरविन्द “महम्मदाबादी”

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