Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2023 · 1 min read

नव वर्तिका जलाएं

नव वर्तिका जलाएं

दीपों की बस्ती में आकर,
देखा मैंने घना अंधेरा।
दीपक सारे ओंधे- सीधे
सब को अंधकार ने घेरा।

बुझी हुई बाती थी उनमें,
और नेह का नाम नहीं था।
सब कुछ लुटा दिया औरों पर,
वहां स्वार्थ का काम नहीं था।

सदा रोशनी दी औरों को,
खुद को पल-पल सदा जलाया। अपने तन का लहू निचोड़ा,
तन का कण-कण सदा गलाया।

उन दीपों का हृदय तोड़ते,
नहीं किसी को लज्जा आई,
उनके दुखित, व्यथित जीवन पर, आंख कभी भी न भर आई।

इन दीपों को गले लगा लें,
मानवता का धर्म निभाएं ।
नेह भरें इनके आंचल में,
फिर से नव वर्तिका जलाएं।

आओ सब मिल दीप जलाएं।
जगमग जगमग दीप जलाएं।

Language: Hindi
118 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from indu parashar
View all

You may also like these posts

■ आज का विचार बिंदु ;
■ आज का विचार बिंदु ; "बुद्धिमता"
*प्रणय प्रभात*
"तकलीफों के साये"
Dr. Kishan tandon kranti
आज की औरत
आज की औरत
Shekhar Chandra Mitra
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
नारी की लुटती रहे, क्यूँ कर दिन दिन लाज ?
RAMESH SHARMA
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सुनता उसका बालमन , दिन में सौ -सौ बार  ।
सुनता उसका बालमन , दिन में सौ -सौ बार ।
RAJPAL SINGH GULIA
त्रिभंगी छंद
त्रिभंगी छंद
Subhash Singhai
प्रेम करें.... यदि
प्रेम करें.... यदि
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जरूरी बहुत
जरूरी बहुत
surenderpal vaidya
प्यार है ये भैया-भाभी का ।
प्यार है ये भैया-भाभी का ।
Buddha Prakash
মা এবং বাবা
মা এবং বাবা
Rahamat sk
चाय पीते और पिलाते हैं।
चाय पीते और पिलाते हैं।
Neeraj Kumar Agarwal
वर्तमान लोकतंत्र
वर्तमान लोकतंत्र
Shyam Sundar Subramanian
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
पूर्वार्थ
माँ नर्मदा जयंती
माँ नर्मदा जयंती
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
A beautiful space
A beautiful space
Shweta Soni
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
Dr Archana Gupta
हिंदी भाषा नही,भावों की
हिंदी भाषा नही,भावों की
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
*धन्य डॉ. मनोज रस्तोगी (कुंडलिया)*
*धन्य डॉ. मनोज रस्तोगी (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
3131.*पूर्णिका*
3131.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज़िम्मेवारी
ज़िम्मेवारी
Shashi Mahajan
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
पावन हो नव वर्ष
पावन हो नव वर्ष
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
वैनिटी बैग
वैनिटी बैग
Awadhesh Singh
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
समझ न पाया कोई मुझे क्यों
समझ न पाया कोई मुझे क्यों
Mandar Gangal
संगठन
संगठन
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अब ना देखो फिर से मिलके
अब ना देखो फिर से मिलके
Karishma Chaurasia
यक्षिणी-3
यक्षिणी-3
Dr MusafiR BaithA
Loading...