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22 Jul 2023 · 1 min read

#ग़ज़ल-

#ग़ज़ल-
■ मशहूर हूं अब…!
【प्रणय प्रभात】

★ बेशक़ सब से दूर हूँ अब।
पर ख़ुद को मंज़ूर हूँ अब।।

★ गुमनामी की ख़्वाहिश है।
इस दर्ज़ा मशहूर हूँ अब।।

★ संग-दिलों की बस्ती में।
शीशा था बस चूर हूँ अब।।

★ कल की बात अलग सी थी।
जज़्बा नहीं फ़ितूर हूँ अब।।

★ किरची कौन समेटेगा?
पूरा चकनाचूर हूँ अब।।

★ दर्द-सितम ग़म चोट कई।
दौलत से भरपूर हूँ अब।।

★ कल तक बासी ज़ख़्म रहा।
इक ताज़ा नासूर हूँ अब।।

●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

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