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11 Jun 2023 · 1 min read

25- सूखा

सूखा

पेड़ पात सूखे सब, नदी नाले सूखे ।

अन्न-दाना पैदा नहीं, लोग मरे भूखे।।

जीव-जन्तु सभी प्यासे, प्यासी धरती फट रही।

गर्मी भयंकर बड़ी, घड़ी संकट की न कट रही ।।

खेत-खलियान सब सूखे बिन पानी के

“बिन पानी सब सून” शब्द एक ज्ञानी के।।

मर रहा मानव दिखे न उपचार कोई।

भूखे प्यासे बच्चे रोयें देख-देख माता रोई।।

सर्प-बिच्छू तड़प रहे गरम तपती रेत में।

कृषक खड़ा रो रहा उजड़े हुए खेत में।।

पक्षियों को नहीं मिला कहीं बैठन का ठिकाना।

बिन पानी पशु बने मौत का निशाना।।

मानव पशु-पक्षी सभी वर्षा की आस में।

जिन्दा जीव ढूंढ रहे ठिकाना सूखी घास में।।

मेंढक मछली तड़प रहे बिन पानी तालाब में

ऐसे दिन न देखे हमने कभी अपने ख्वाब में ।।

“दयानंद”

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