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11 Jun 2023 · 1 min read

13- जिज्ञासा

जिज्ञासा

मैं आया था जब इस अनजाने शहर में,

न वाकिफ़ था कोई मेरे नामोंनिशां से।

मिली रहनुमाई दिया स्नेह आपने,

दिल चाहता नहीं अब जाने को यहाँ से।।

ले के दिल में तमन्ना और कुछ करने का तूफान,

ख्वाब देखा था एक रात में ।।

मोह सबका छोड़ा, चले अब यहाँ से,

बहते हुए बहके बहके ज़ज्बात में ।।

यह जीवन का चक्कर बड़ा पुरखतर है,

नहीं चैन दिन का नींद रात को हराम ।

छोड़ी हसरत की नौका अभी लम्बा सफर है,

दिल में लेकर सुकून चले मन शान्ति विश्राम।।

“दयानंद”

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