Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Jun 2023 · 1 min read

उलझन

उलझन में अपने शख्स वो उलझा हुआ होगा।
ग़म के भंवर में किस क़दर डूबा हुआ होगा।
यूं ही नहीं करता कोई इस तरह खुदकुशी-
हद तक दिलो-दिमाग से टूटा हुआ होगा।

मरने से पहले सोचा उसने सौ दफा होगा।
ग़म के सफ़र में ढूंढ़ा उसने रास्ता होगा।
ढूंढे से भी मिला नहीं जब कोई भी उपाय-
तो हार कर के मौत को ही चुन लिया होगा।

ऐसा नहीं कि जीना कोई चाहता नहीं।
रस ज़िन्दगी का पीना कोई चाहता नहीं।
कोई तो किये रहता है समझौता दर्द से-
और चाक जिगर सीना कोई चाहता नहीं।

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Loading...