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9 Jun 2023 · 1 min read

तिनका

मन की आकांक्षा जगी
अब जीवन में खुशियों के लिए
तृण-तृण से लडना भी होगा ।

कह रही आकांक्षाएँ अधूरी
व्याप्त जीवन के क्लेश ,
मिटाने को चित्त तत्पर
व्यापक जहां है परिवेश
तिनका-तिनका जोडकर
घर सा कुछ रखना भी होगा
पर तृण-तृण से लडना भी होगा।

निर्माण हेतु निर्णय सही
पर विद्रोह झेलना भी है
पद,पैसा और प्रतिष्ठा हेतु
यहां सब कुछ सहना भी है
प्रसन्न रहकर संतुष्टि सहित
साथ अपनो को रखना भी होगा
पर तृण-तृण से लडना भी होगा।

जब तक अभिलाषाएं पूरी न हो
कंकड़-पत्थर पर चलना भी होगा
पर तृण-तृण से लडना भी होगा

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