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2 Jun 2023 · 1 min read

मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं

मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं

मेरी लिखी मुझे ही पसंद नहीं
आप को क्या सुनाऊ,पथिक ।

कहा पोस्ट ,कहा अपलोड करू
बड़ी मुश्किल में हूं , पथिक ।

सोच – सोच कर बुरा हाल है
कोई ढ़ंग का तो रचना हो , पथिक।

लिख कर तो कागज भरा पड़ा
आप को क्या सुनाऊ, पथिक ।

पसंद हो या ना पसंद हो
लिखा तो हमने ही , पथिक ।

अब भी है , दावात बचा
ढंग का तो सोच लू ,पथिक ।

पथिक था ,तो सुना दिया
नहीं तो साहस कहा था, पथिक ।

गौतम साव

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