Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Jun 2023 · 1 min read

#बह_रहा_पछुआ_प्रबल, #अब_मंद_पुरवाई!

#बह_रहा_पछुआ_प्रबल, #अब_मंद_पुरवाई!
____________________________________
लोभ के वश प्रेम के पथ, खुद गई खाई!
हाय! क्या करे माई?

खण्ड आँगन का हुआ यह,
देख ममता रो रही।
शोक में डूबी हुई है,
और आपा खो रही।
बांटने माँ – बाप को हैं, लड़ रहे भाई!
हाय! क्या करे माई?

रक्त से सिंचा इन्हें था,
और भूखी खुद रही।
बचपने से था सिखाया,
क्या गलत है क्या सही।
किन्तु फिर भी आज कैसे, यह घड़ी आई!
हाय! क्या करे माई?

आज राघव का भला क्यों,
है लखन बैरी बना।
स्नेह के नभ में कदाचित्,
छा रहा कुहरा घना।
बह रहा पछुआ प्रबल, अब मंद पुरवाई!
हाय! क्या करे माई?

✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण बिहार

Loading...