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28 May 2023 · 1 min read

सोलहवां बरस

जिंदगी को सोलहवें बरस का जामन लग जाते ही,
जिंदगी की पल भर में जून बदल जाती है,
गुलाबी ख़तों की भीनी -भीनी ख़ुशबुएं,
सिरहानों की पनाह में परवान चढ़ने लगती हैं, और,
एक नशा सारे वजूद पर तारी हो जाता है, पर,
हमेशा ही सोलहवां बरस ऐसे नहीं आता है,
कभी -कभी आता है तो-डरा डरा, सहमा सा,
न सिरहाने न ख़त न ख़ुशबू न गुलाब, बस,
वजूद को ललकारते मुश्किल हालातों सा,
चलो कुछ करें, कोई सोलहवां बरस, ऐसे नहीं आए,
जब भी वो आए, हवाओं में तिरता सा, ख़ुशबुएं लुटाता,
हज़ारों हजा़र रंग बिखराता बस!
खुली हुई आँखों में -सपनों सा आए…….. आमीन!

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