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27 May 2023 · 1 min read

वो पढ़ लेगा मुझको

(12)
सफ़र इश्क का मुश्किल बहुत है ।
कुछ तो नहीं, दर्द हासिल बहुत है ।

इज़हार-ए-उल्फ़त कर न सके जो ।
दिल ये हमारा बुज़दिल बहुत है ।।

तरसती हैं नींदे उसी को हमारी ।
खुशियों का मेरी जो कातिल बहुत है।

मैं ख़ामोशियों में छुप कर क्या देखूं ।
दो पढ़ लेगा मुझको कामिल बहुत है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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