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27 May 2023 · 1 min read

बिछड़ा हो खुद से

(11)
बिछड़ा हो खुद से, वो मिलता कहां है।
पत्थर हो दिल से, वो पिघलता कहां हैं।।

किसी हाल में इसको खोने न देना।
सिरा जिंदगी का मिलता कहां हैं ।।

कोई भी मरहम असर न करेगा ।
रूह का ज़ख्म है ,भरता कहा है ।।

भरम तोड़ देगी कोशिश तुम्हारी ।
मुकद्दर से ज़्यादा मिलता कहां हैं ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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