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15 May 2023 · 1 min read

किसान का दर्द

कोई न समझे इस दुनियाँ में ,
जब दर्द किसी को होता है।॥1॥

दिनभर मेहनत करके भी ,
रात में भूखा सोना होता है॥2॥

रोटी के एक टुकड़े की खातिर ,
न जाने कितने सपने संजोता है ॥3॥

लेकिन जब रोटी न मिलती ,
वह अपनी किस्मत पर रोता है ॥4॥

अब कुछ भी पास नहीं है उसके ,
पल – पल वो सब कुछ खोता है ॥5॥

पेट भर सके हम सब का ,
इसलिए बीज वो बोता है ॥6॥

इतना सबकुछ करने पर भी ,
आखिर किसान क्यों रोता है ॥7॥

त्याग दिया सुख उसने सारा ,
और बिन बिस्तर वो सोता है ॥8॥

पैसे वालों के लिए आज भी ,
वो बस एक सिक्का खोटा है ॥9॥

स्वरचित काव्य रचना
तरुण सिंह पवार

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