Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
14 May 2023 · 1 min read

पागल हूँ न?

हाँ!
मैं पागल हूँ
क्योंकि मुझमें हिम्मत है सच बोलने की
कह सकती हूँ मैं
नहीं बनाना मुझे कोई
विश्व कीर्तिमान आदर्श नारी का
रात को रात और दिन को दिन
पर तुम जानते हो न
सच बोलने के अपराध में
ज़हर पीना पड़ा था सुकरात को

मैं पागल हूँ
सच बोल दिया
लोग बौखला गए
क्योंकि सच तो पागल ही बोलते हैं
अन्यथा सभी कहते हैं
ठकुर सुहाती
विद्वानों ने तो कहा था
अप्रिय लगने वाला सच मत बोलना
पर क्या करूँ
आज के युग में
सच तो अप्रिय ही लगता है सब को
और लगता है कड़वा भी

हाँ मैं पागल हूँ
क्योंकि उसके अनर्गल प्रलाप को
समर्थन नहीं दिया मैंने
पागल हूँ न?
अब वह घूम रहा है
मेरे विरु(
पागलनप का फतवा लेकर
पर मैं तो मस्त हूँ
मुझे कुछ भी अन्तर नहीं पड़ा
क्योंकि मैं पागल हूँ
सच बोलती आई हूँ
सच बोलूँगी
चाहे कितना ज़हर पीना पड़े

Loading...