Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
14 May 2023 · 1 min read

मंद मंद बहती हवा

मंद- मंद बहती हवा कहती

चलो घूम आए उस प्रकृति में

हिरनों की उछल कूद मानो

प्रकृति की सुंदरता बढ़ा रही है

सुंदर सुंदर खिले वो फूल और

झुकी पेड़ों की डालियाँ महक रही है

सुंदर सी मीठी तान में प्रकृति मानो

हमसे कुछ कह रही है।

सुबह-सुबह उषा की लाली

बिखेर रही चंचल किरणों को

मानो लुटा रही है शीतल मंद पवन

अपने कोमल अंगों को

सुनकर कोयल की मीठी कूक

ठहर जाते हैं पांव बरबस से

मंद -मंद बहती हवा कहती

चलो घूम आए उस प्रकृति में।

कहीं महकती आम की अमराई

कहीं नीम की अंगड़ाई है

गूंज रहा अलि का झंकृत स्वर

पपीहे ने मीठी तान सुनाई है

प्रकृति की सुंदरता को देखकर

विह्वल होकर मन डोल रहा

झुकी पेड़ों की ठंडी उस छांव में

शीतलता कहाँ से आई है

मंद -मंद बहती हवा कहती

चलो घूम आए उस प्रकृति में

नदियाँ कल-कल बहती हुई

एक नया राग सुनाती है

पशु, पक्षियों की टोलियाँ जहाँ दिखती

गीतों की खुशनुमा बहार लगती है

प्रकृति का ये सुंदरता और उसका

रंग रूप मन को मोह लेता है

मंद -मंद बहती हवा कहती

चलो घूम आए उस प्रकृति में।

Loading...