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6 May 2023 · 1 min read

$ग़ज़ल//

#ग़ज़ल
#वज़्न – 1222 – 1222 – 122

मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है
लगे कोई इबादत हो गई है/1

अगर तुम थाम लोगे हाथ मेरा
समझ लूँगा इनायत हो गई है/2

अँधेरे घर में दीपक तुम जलाओ
बड़ी दिल की ये चाहत हो गई है/3

तुझे रब मान बैठा दिल करूँ क्या
मिरी ग़ाफ़िल-सी हालत हो गई है/4

चले आओ सुनो दिल की कहानी
तुझे पाना ही शोहरत हो गई है/5

उसे चाहो तुम्हें जो चाहता हो
समझ लो शाद क़िस्मत हो गई है/6

मिले जबसे मुझे ‘प्रीतम’ क़सम से
जवाँ तबसे तबीयत हो गई है/7

#आर.एस. ‘प्रीतम’

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