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23 Apr 2023 · 1 min read

चोट शब्दों की ना सही जाए

चोट शब्दों की ना सही जाए
बात आँखों से तब कही जाए
हो ख़ता तीर तो न ग़म कीजै
है मज़ा तीर जब सही जाए
अश्क़ इतने भरे हैं नैनों में
इक नदी जैसे के बही जाए

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