"ये सुना है कि दरारों में झांकता है बहुत।
“ये सुना है कि दरारों में झांकता है बहुत।
खुली किताब हूँ मुझको भी पढ़ के देख ज़रा।।”
■ प्रणय प्रभात■
“ये सुना है कि दरारों में झांकता है बहुत।
खुली किताब हूँ मुझको भी पढ़ के देख ज़रा।।”
■ प्रणय प्रभात■