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14 Apr 2023 · 1 min read

इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।

इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।
जिंदगी में जय विजय के रंग कितने भर रहा।।
निसार हैं नजरें अगर तो बहार कितनी आ रही।
जो गजब में आ गया तो कहर कितने ढा रहा।
जो घड़ी टिक टिक करे,है धड़कता दिल तेरा।।
ये इनायत उसकी है वो ही मुमकिन कर रहा।
रहता तेरे साथ में वो हर विजय और हार में।।
उसके करम से रोज कैसे ये गुलिस्ता सज रहा।
जो दिया उसने दिया है कर्म बस हमने किया।।
दिन ब दिन आशिक हुआ यकीन उसपे बड़ रहा।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)

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