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14 Mar 2023 · 2 min read

शीर्षक:श्रद्धांजलि

वेद प्रताप वैदिक को शब्द श्रद्धांजलि

वेद प्रताप वैदिक के निधन से पत्रकारिता जगत में एक रिक्तता सी आ गई है।भारतीय पत्रकारिता में वेद प्रताप वैदिक एक ऐसा नाम रहा है जो निष्पक्ष, निर्भीक, बेबाक और पत्रकारिता के मानदंडों पर खरा उतरने का प्रमाण है।कई मीडिया संस्थानों में कर चुके काम।
वेद प्रताप वैदिक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की हिंदी समाचार एजेंसी ‘भाषा’ के संस्थापक-संपादक के रूप में जुड़े हुए थे। इसके अलावा वे नवभारत टाइम्स में संपादक भी थे। वैदिक भारतीय भाषा सम्मेलन के अंतिम अध्यक्ष भी रहे। उनका जन्म ३० दिसंबर १९४४ को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। उन्होंने इंटरनेशनल पॉलिटिक्स में जेएनयू से पीएचडी की। वैदिक को दर्शन और राजनीतिशास्त्र में दिलचस्पी थी। वे अक्सर इन मुद्दों पर अपने विचार रखते थे।
सिर्फ १३ वर्ष की आयु में की थी। हिंदी सत्याग्रही के तौर पर वे १९५७ में पटियाला जेल में रहे। विश्व हिंदी सम्मान (२००३), महात्मा गांधी सम्मान (२००८) सहित कई पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिले।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन लेखकों और पत्रकारों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया। वे रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत भाषा के भी जानकार थे।
वैदिक देश के इकलौते लेखक थे जो अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी मौलिकता के साथ हिंदी में लिखते थे। बाकी कोई ऐसा पत्रकार या लेखक नहीं है जो अंतरराष्ट्रीय मसलों पर इस तरह हिंदी में लिखता हो। यह सबसे बड़ा शून्य हो गया है कि हिंदी को कोई पत्रकार इस विषय पर जानकारी रखता हो। वैदिकजी १९७० में ही दिल्ली शिफ्ट हो गए थे लेकिन उनका लगाव हमेशा इंदौर से था।पूरी तरह से स्वस्थ व जीवनपर्यंत लेखन करते रहे वेद प्रताप वैदिक के हिंदी पत्रकारिता में योगदान को कभी भुलाया नही जा सकेगा।

कैसे तुझ पर ऐतबार करे
ए जिंदगी
दगा देकर चल देना तेरा पुराना
रवैया ठहरा
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

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