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2 Mar 2023 · 1 min read

तथागत प्रीत तुम्हारी है

तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।

दे जाओ ज्ञान हमें अब तुम,
सरण में तेरे आ गये है तथागत।

अमर रहे सदा नाम तुम्हारा,
अमर दीप जले घर-घर सारा।।

तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।….(1)

अशांति अहिंसा फैला जग में,
इसको तुम ही मिटा देना ।

जन-जन के तुम कष्ट को हरना,
प्रेम करुणा तुम अपनी करना।।

तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है।……..(2)

मध्यम मार्ग हमें दिखला कर,
बुद्ध तथागत ह्रदय में आकर।

मानव को दिखाया दुःख सागर,
निर्वाण का है मार्ग पावन।।

तथागत अब तो आ जाओ,
जग में प्रीत तुम्हारी है ।………(३)

रचनाकार –
✍🏼 बुद्ध प्रकाश,
मौदहा,हमीरपुर।

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