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19 Feb 2023 · 1 min read

दो शे'र

इश्क़ में ग़म , तन्हाई , न जाने क्या क्या मिला ।
बेवफ़ाई हिस्से आयी , हिज्र का सहारा मिला ।।

हम समझ रहे थे बरसाकर मुहब्बत लौट गया होगा ।
फ़लक पर.. आज भी वो बादल आवारा मिला ।।

©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी , इंदौर
©काज़ीकीक़लम

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