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15 Jan 2023 · 1 min read

यही इश्क़ तो नहीं

हमने कुछ कहा नहीं
तुमने कुछ सुना नहीं
फिर भी पता चल गया ज़माने को
कहीं यही इश्क़ तो नहीं

छुपाने से जो छुपता नहीं
जताने से जो होता नहीं
रातों की नींदें छीन लेता है जो
कहीं यही इश्क तो नहीं

अब ये मन कहीं लगता नहीं
देखकर उसको ये भरता नहीं
एक मुलाकात के बाद फिर मिलने का इंतज़ार
कहीं यही इश्क़ तो नहीं

आंसू आंखों से जाते नहीं
जब तक दीदार हो जाते नहीं
सबकुछ भूल जाता है उसका चेहरा देखकर
कहीं यही इश्क़ तो नहीं

बिना देखे मुझे, उसे भी चैन आता नहीं
यूं ही नंगे पैर वो दौड़ा चला आता नहीं
है कोई ताकत जो खींच रही है उसे मेरी तरफ
कहीं यही इश्क़ तो नहीं

यूं ही वो लोक लाज भूलता नहीं
तलवार की नोक पर यूं चलता नहीं
कुछ तो है जिसने बना दिया उसे इतना निडर
कहीं यही इश्क़ तो नहीं

रहा उसमें अब कोई गुरूर नहीं
मानता अब वो मेरी बात बुरी नहीं
बदल जाए जब इस तरह कोई अचानक
कहीं यही इश्क़ तो नहीं।

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