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12 Jan 2023 · 2 min read

35) वजन पचपन किलो

वजन पचपन किलो (हास्य व्यंग्य)
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एक कवि किसी कस्बे में रहते थे। सेहरा लिखने के मामले में बहुत लोकप्रिय थे । उनको कस्बे में होने वाले विवाह समारोह में गीत लिखकर जयमाल के समय सुनाने के काम में लोग बुलाते थे। बड़ा आदर मिलता था और साथ ही साथ अच्छी-खासी धनराशि भी मिल जाया करती थी । साल में आठ-दस शादियॉं हो जाती थीं।
एक बार कवि महोदय बहुत बीमार पड़े। बचने की उम्मीद न थी। एकमात्र पुत्र को अपने पास बुलाया और कहा “बेटा ! तुम कवि तो नहीं हो , लेकिन फिर भी मैं तुम्हें विवाह के समय कविता सुनाने का नुस्खा बताना चाहता हूं । उसको आजमाओगे, तो विवाह के समय कविताएं बनाते रहोगे।”
पुत्र बोला” मुझे तो कुछ आता नहीं.. लेकिन फिर भी आप कह रहे हैं तो बता दीजिए”।
पिता ने कहा “शादी में बाकी कविता तो ज्यों की त्यों सुना देना , लेकिन बस शुरू में जो दोहा पढ़ो, उसमें नाम बदलते रहना”।
पुत्र बोला” उदाहरण सहित बताइए”
पिता ने कहा” देखो लिखा है:-

आज लता का ब्याह है ,अपने पति के साथ
दया करो हे नाथ जी , अपना रखना हाथ

कवि बोले” यह लता की शादी के लिए मैंने दोहा लिखा था। अब जिस – जिस लड़की की शादी हो, तुम लता की बजाए उसका नाम लिख देना । दोहा बिल्कुल सही फिट बैठता रहेगा”

इतना समझाने के बाद कवि जी चल बसे । थोड़े समय बाद कस्बे में रमा की शादी हुई ।कवि महोदय के पुत्र ने लता के स्थान पर रमा लिखकर पूरा दोहा जयमाल के समय सुना दिया और सबकी वाहवाही प्राप्त हो गई। फिर उसके बाद कस्बे में सुमन नाम की एक लड़की की शादी हुई। कवि पुत्र ने लता के बजाय सुमन लिख दिया। दोहा सब को बहुत पसंद आया। फिर एक किरण नाम की लड़की की शादी हुई। कवि पुत्र ने लता के स्थान पर किरण लिख दिया । दोहा सबको फिर बहुत पसंद आया ।
कस्बे में चौथी शादी रामेश्वरी नामक लड़की की हुई। कवि – पुत्र ने लता के स्थान पर रामेश्वरी लिखा और जब जयमाल के समय दोहा सुनाया तो विद्वानों ने आपत्ति की । एक सज्जन उठ कर खड़े हो गए और कहने लगे “दोहे के प्रथम चरण में मात्रा-भार ज्यादा है”।
कवि- पुत्र को गुस्सा आ गया। बोले “रामेश्वरी तो लता की छोटी बहन है । हमें लता का भी भार पता है, और रामेश्वरी का भी पता है। केवल चरण की बात नहीं है । पूरे शरीर का भार दोनों ही का पचपन-पचपन किलो का है । अगर पचास ग्राम का भी अन्तर आ जाए, तो कहिएगा।” कवि-पुत्र का उत्तर सुनकर सब लोग निरुत्तर रह गए।
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लेखक:रवि प्रकाश

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