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5 Jan 2023 · 1 min read

मुक्तक

तुम नहीं तो मुझे बस्तियाँ खल रहीं।
प्रेम की वे सभी चिट्ठीयाँ खल रहीं।
जबसे गयी हो मुझे यार तुम छोड़कर,
दूरियाँ सिसकियाँ हिचकियाँ खल रहीं।

-अभिनव अदम्य

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