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4 Jan 2023 · 1 min read

तेरी तरह से

तेरी तरह से , बस एक सोच हो तेरी ।
मुख्तलिफ़ सोच का अंजाम कुछ नहीं होता ।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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