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4 Jan 2023 · 1 min read

मार्शल लॉ के सन्नाटे में

इतने ज़्यादा संगीन हुए
इस मुल्क के हालात कि बस्स
चीख-चीख कर कह रही
ज़ुल्मत की ये रात कि बस्स…
(१)
आजकल खादी और खाकी के
बूटों तले बेदर्दी से
कुछ ऐसे कुचले जा रहे
अवाम के जज़्बात कि बस्स…
(२)
सुनते-सुनते अब कान पके
कोई करे तो क्या करे
मीडिया से लेकर संसद तक
ज़ारी ऐसी बकवास कि बस्स…
(३)
पूरी क़ौम को खोखला करके
गिने-चुने घरानों को
वे ऐसे बांटे जा रहे
दोनों हाथों से खैरात कि बस्स…
(४)
गौतम के पैगामों पर
नानक के अरमानों पर
हाय, आंसू और ख़ून की
ऐसी हो रही बरसात कि बस्स…
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Shekhar Chandra Mitra
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