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28 Dec 2022 · 1 min read

गुजारा हो सके घर का _ मुक्तक

झूंठ बोलो राज करो _ बात यह मैने रटी नहीं।
कारण यही था किसी से जमाने में पटी नही।।
गुजारा हो सके घर का_ आय इतनी है मेरी।
सब कुछ घटता रहा आय मानिए घटी नहीं।।
राजेश व्यास अनुनय

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