ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ज़ख्मों का स्वाद है ।
इंसानियत के धावों से
फिर रिस्ता मवाद है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
ख़ामोश हर ज़ुबाँ पर
ज़ख्मों का स्वाद है ।
इंसानियत के धावों से
फिर रिस्ता मवाद है ।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद