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11 Dec 2022 · 1 min read

■ ग़ज़ल / आने वाला कल ना आया....!

#ग़ज़ल
■ आने वाला कल ना आया….!
【प्रणय प्रभात】

★ जो बीता वो पल ना आया।
आने वाला कल ना आया।।

★ कल की आस रही बस तब तक।
जब तक सूरज निकल ना आया।

★ इंतज़ार की टहनी सूखी।
लेकिन कोई फल ना आया।।

★ दुनिया रूपी विद्यालय में।
सब कुछ सीखा छल ना आया।।

★ धोखे कितने खाए हमने।
पेशानी पर बल ना आया।।

★ लाख पहेली बुझी फिर भी।
कुछ प्रश्नों का हल ना आया।।

★ मरुथल उपवन बन सकता था।
भरा हुआ बादल ना आया।।

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