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10 Dec 2022 · 1 min read

■ गीत / प्रेम की कहानी, आँसुओं की जुबानी

#प्रणय_गीत:-
(धड़कते दिलों के नाम)
【प्रणय प्रभात】

“आँसुओं की जुबानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।
एक होता था सूरजमुखी।
एक थी रात-रानी सुनो।।

◆ एक दिन का शहंशाह था,
एक थी मल्लिका रात की।
देख लेते थे आपस में पर,
थी ना मोहलत मुलाक़ात की।
थी मचलती जवानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ एक पर धूप सा रूप तो,
एक पर चाँदनी सी चमक।
एक पर खुशनुमा रंगतें,
एक पर मदभरी सी महक।
रुत थी सच में सुहानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ इसका यौवन था दिन पे टिका,
उसकी उम्मीद थी रात पर।
थी इधर जागती बेबसी
तो उधर करवटें रात भर।
हो न पाए रुमानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।

◆ दिन महीने गुज़रते गए
हाल हद तक हठीले हुए।
हाथ हल्दी #आत्मकथ्य
पात दोनों के पीले हुए।
अब थी दुनिया विरानी सुनो।
प्रेम की है कहानी सुनो।।’

#आत्मकथ्य :-
“जीवन की गाड़ी चलाने के लिए दिन-रात की दो अलग-अलग
पारियों में बारी के मुताबिक़ काम और जीवन देखते ही देखते तमाम।”
बस, इसी कड़वे सच के बीच धड़कते युवा दिलों की पीड़ा और त्रासदी को मुखर करता है मेरा यह गीत जो अस्तित्व पाने के बाद आप सुधि मित्रों को समर्पित है। मन हो तो ही पढ़िएगा। रात की तन्हाई को सिरहाने लगा कर।
कुछ महसूस कर पाएं तो मुझे भी बताएं, लेकिन संजीदगी के साथ। शुक्रिया दिल से।।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🧡

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