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23 Nov 2022 · 1 min read

सच्चे दोस्त की ज़रूरत

दोस्तों की महफिल में
जब खुद को अकेला पाया
तब जाना अब तक
ज़िंदगी में कुछ नहीं पाया

जिनको समझता था अपना
वो अपने नहीं, वो तो पराए निकले
वो नाचते रहे उस महफिल में
जिसमें मेरे दिल के अरमान निकले

था मौका जश्न का लेकिन
मेरा दिल कहीं और था
झूम रहे थे सभी महफिल में
फरमाइशों का दौर था

जाने मैं क्यों खुद को आज
उनसे दूर पा रहा था
आज फिर उनकी खुशी से मैं
बहुत दूर जा रहा था

थे वो तो मस्ती में बहुत
मेरे हाल से वो अनजान थे
चढ़ा था सुरूर उनको
दुनिया से आज अनजान थे

झूम रहे थे हाथों में लेकर हाथ
जो कर रहे थे वो सही कर रहे थे
देखकर अकेलापन अपना
हम इस महफिल में भी डर रहे थे

है ज़रूरी होना सच्चे दोस्त का
अच्छी ज़िंदगी जीने के लिए
वैसे तो बहुत मिल जाएंगे दोस्त भी
अच्छे समय को जीने के लिए।

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