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17 Nov 2022 · 1 min read

काश आंखों में

वक़्त कैसा भी सही शाद
फिर मुझ पर गुज़र जाता ।
काश आंखों में गुज़रे वक़्त का
एक लम्हा ठहर जाता ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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