Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
24 Jan 2023 · 2 min read

गलती कहूं या लापरवाही!

गलती कहूं या लापरवाही, या थी यह अपनी बेपरवाही!
नन्ही परी के जन्म दिवस पर, गया था मैं संदीप के घर पर!
पार्टी शार्टी का था इंतजाम ,आए हुए थे मेहमान तमाम!
होटल में था यह इंतजाम, ढला दिन होने को हुई शाम!
खाना खा कर हम बाहर आए, लौन में आकर थोड़ा सुस्ताए!
बातें कर रहे थे मित्र वर से,दिनचर्या पर अपने अपने ढंग से!
आवाजाही का दौर शुरु हुआ, हमने भी कदमताल शुरु किया
देखा ना भाला चल पडे ,, फोन अपना वहीं छोड़ चले!
मेजबान के घर पर पहुंच गये, और फिर गपशप में जुट गये!
ना जेब टटोली ना ध्यान दिया, अपने घर को प्रस्थान किया!
जब चाबी ढूंढी ताले की ,लगी जेब तब खाली- खाली सी!
अरे, ये क्या मैंने कर दिया,फोन वहीं कहीं पर छोड़ दिया!
आगे देखा-पीछे देखा ,आस-पास की सीट को देखा!
फिर अपनी बेटियों से पूछा, मेरा फोन देखा था क्या !
वजह बोंली नही तो, क्यों क्या हुआ? कहीं छोड़ दिया!
मैंने कहा हां! घंटी देना तो जरा!
घंटी बजी नहीं; पर चली गई,
बात उधर से कह दि गई, हैलो कौन बोल रहा है,
इधर बेटि ने कहा आप कौन हैं, यह फोन तो मेरे पिता का है,
उसने जबाब दिया, हां यह फोन मुझे पड़ा हुआ मिला!
कहाँ छूटा था यह बतलाओ,आकर फोन को लेकर जाओ!
बिटिया बोलि होटल में कहीं छूट गया था,
बर्थडे पार्टी का निमंत्रण मिला था, वहां कहीं पर छूट गया था,
वह बोला की फोन लौन में गिरा पड़ा था, मुझे वहां पर दिखाई दिया था!आओ और लेकर जाओ!
बिटिया बोलिं ,हम तो वहां से निकल गये हैं,
अब किसी को वहां भेजते हैं!
वो हि आएंगे, जो मेजबान हैं,
वह बोले ठीक है,
बिटिया बोलि भिजवा दीजिये!
फिर मुझसे बोलि लौन में क्या कर रहे थे,
मैं बोला सुस्ताने गया था, जो अब गले पड गया!
अब क्या कहूं,गलती कहूं, या लापरवाही,
भूल कहूं या बेपरवाही! थोड़ी सी चूक ने कर ली जग हंसाई!!

Loading...