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15 Oct 2022 · 1 min read

मै लड़का था मुझे मुस्कुराना पड़ा

मेरे भी कुछ अरमान थे सब ठुकराना पड़ा
मेरी भी कुछ तमनाय थी जिसे दफनाना पड़ा
दिल में आग से धधक रही थी किसको फिकर थी
मै लड़का था जनाब मुझे गमों में मुस्कुराना पड़ा
चोट दिल को आर पार कर रहे थे मगर
सब के सामने हस कर बताना पड़ा
मै लड़का था जनाब मुझे हर गमों में भी मुस्कुराना पड़ा
घर की हालत मुझसे देखी नही गई ,जिसके कारण घर से दूर जाना पड़ा
मै लड़का था जनाब मुझे हर गमों में मुस्कुराना पड़ा
घर से दूर सहर में परिंदों सा था मैं
कही धूप कही छाव में जाना पड़ा
नंगे पाव भूखे पेट हर रोज दुखो का पीड़ा सहना पड़ा
गलती बस इतनी थी कि मैं लड़का
वो लड़की जिसके वजह से मुझे दर दर की ठोकर खाना पड़ा
में लड़का था जनाब मुझे हर गमों में मुस्कुराना पड़ा
घटिया पागल दरिंदा पता न क्या क्या कहती थी
सही होकर भी मुझे अपमान बदनाम बदन पे दाग खाना पड़ा
मै लड़का था जनाब मुझे हर गमों मुस्कुराना पड़ा
ऐसे बहुत से दुखो ने सताया हमको
थी एक जुनून जो मुझे सब कुछ सहजना पड़ा
जिस ने मुझे छोड़ा था जाहिल कह कर
उसके लिए ही मुझे फार्मेसी में नाम लिखना पड़ा
मुझे भी भूत सवार थी कुछ करने की मुझे फार्मासिस्ट बन कर दिखाना पड़ा
मै लड़का था जनाब मुझे हर गमों में मुस्कुराना पड़ा

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