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13 Oct 2022 · 1 min read

ज़िंदगी देख मेरे हाथों में कुछ नहीं आया

उम्र भर अपनी सांसों का क़र्ज़ देकर भी ।
ज़िंदगी देख मेरे हाथों में कुछ नहीं आया ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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