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3 Jan 2023 · 1 min read

ओम के दोहे

ढेर ढेर हो जात है, इक सीमा के बाद।
ओम सदा हद में रहें , हो जायें बर्बाद ।।

प्रकृति पूजक बने रहें , करें प्रकृति से प्यार ।
ओम जब विपरीत चलें , सह ना सकेंगे मार ।।

मानव मानव से करें , मानवता व्यवहार ।
ओम जब अमानव हुए , जीत बन जाये हार। ।

ओम प्रकाश ओम

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