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26 Sep 2022 · 1 min read

फिक्र

रूह जब आँखों में
झलकता है,
खुबसूरती ख़ुशबू
बन महकती है !

दिल की ख़ुशबू
अनजानी होती है,
गुलों ने शायद-
बनाया नही इन्हें !

इश्क़ की धुन
समझ जाएँ तो
यह मर्ज़ नही
बन सकता !

चाहत की
इन्सानी दख़लंदाज़ी ,
इश्क़ में
दरकिनार हो जाती है ।

इश्क़ करना
सिख ले अगर
फिर खुदा की
फ़िक्र बेमानी है ।

नरेन्द्र

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